सूचना प्रौद्योगिकी
सूचना प्रौद्योगिकी व्याख्या
भाषा, अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। भाषा मानव जीवन का अभिन्न अंग है। संप्रेषण के द्वारा ही मनुष्य सूचनाओं का आदान प्रदान एवं उसे संग्रहित करता है। सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक अथवा राजनीतिक कारणों से विभिन्न मानवी समूहों का आपस में संपर्क बन जाता है। गत शताब्दी में सूचना और संपर्क के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति हुई है। इलेक्ट्राॅनिक माध्यम के फलस्वरूप विश्व का अधिकांश भाग जुड गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क्रांती ने ज्ञान के द्वार खोल दिये है। बुद्धि एवं भाषा के मिलाप से सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे आर्थिक संपन्नता की ओर भारत अग्रसर हो रहा है। इलेक्ट्राॅनिक वाणिज्य के रूप में ई-कॉमर्स, इंटरनेट द्वारा डाक भेजना, ई-मेल द्वारा संभव हुआ है। ऑनलाईन सरकारी कामकाज विषयक ई-प्रशासन, ई-बैंकिंग द्वारा बैंक व्यवहार ऑनलाईन, शिक्षा सामग्री के लिए ई-एज्यूकेशन आदि माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के बहु आयामी उपयोग के कारण विकास के नये द्वार खुल रहे हैं। भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रयोगों का अनुसंधान करके विकास की गति को बढाया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी में सूचना, आँकडे (डेटा ) तथा ज्ञान का आदान प्रदान मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र में फ़ैल गया है। हमारी आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक तथ अन्य बहुत से क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास दिखाई पड़ता है। इलेक्ट्रानिक तथा डिजीटल उपकरणों की सहायता से इस क्षेत्र में निरंतर प्रयोग हो रहे हैं। आर्थिक उदारतावाद के इस दौर के वैश्विक ग्राम (ग्लोबल विलेज) की संकल्पना संचार प्रौद्योगिकी के कारण सफ़ल हुई है। इस नये युग में ई-कॉमर्स, ई-मेडीसिन, ई-एज्यूकेशन, ई-गवर्नंस, ई-बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों का विकास हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी आज शक्ति एवं विकास का प्रतीक बनी है। कंप्यूटर युग के संचार साधनों में सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन से हम सूचना समाज में प्रवेश कर रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस अधिकतम देन के ज्ञान एवं इनका सार्थक उपयोग करते हुए, उनसे लाभान्वित होने की सभी को आवश्यकता है।
1. सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संक्षिप्त विश्वकोश में -
सूचना प्रौद्योगिकी को सूचना से संबद्ध माना गया है। इस प्रकार के विचार डिक्शनरी ऑफ़ कंप्यूटिंग में भी व्यक्त किए गए है। मैकमिलन डिक्शनरी ऑफ़ इनफ़ोर्मेशन टेक्नोलाॅजी में सूचना प्रौद्योगिकी को परिभाषित करते हुए यह विचार व्यक्त किया गया है कि कंप्यूटिंग और दूरसंचार के संमिश्रण पर आधारित माईक्रो-इलेक्ट्रानिक्स द्वारा मौखिक, चित्रात्मक, मूलपाठ विषयक और संख्या संबंधी सूचना का अर्जन, संसाधन (प्रोसेसिंग), भंडारण और प्रसार है।
2. अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी को इन शब्दों मे परिभाषित किया गया है-
सूचना प्रौद्योगिकी का अर्थ है, सूचना का एकत्रिकरण, भंडारण, प्रोसेसिंग, प्रसार और प्रयोग। यह केवल हार्डवेअर अथवा सॉफ़्टवेअर तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस प्रौद्योगिकी के लिए मनुष्य की महत्ता और उसके द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना, इन विकल्पों के निर्माण में निहित मूल्य, यह निर्णय लेने के लिए प्रयुक्त मानदंड है कि क्या मानव इस प्रौद्योगिकी को नियंत्रित कर रहा है। और इससे उसका ज्ञान संवर्धन रहा है।
3. युनेस्को के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी की परिभाषा -
सूचना प्रौद्योगिकी, "वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय और इंजीनियरिंग विषय है। और सूचना की प्रोसेसिंग, उनके अनुप्रयोग की प्रबंध तकनीकें है। कंप्यूटर और उनकी मानव तथा मशीन के साथ अंत:क्रिया एवं संबद्ध सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक विषय।'
4. डॉ जगदिश्वर चतुर्वेदी ने सूचना प्रौद्योगिकी के सूचना तकनीकी शब्द को परिभाषित करते हुए लिखा है -
सूचना तकनीकी (प्रौद्योगिकी) का किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाए वह वस्तुत: उपकरण तकनीक है। यह सूचनाओं को अमूर्त संसाधन के रूप में मथती है। यह 'हार्डवेअर और सॉफ़्टवेअर' दोनों पर आश्रित है। इसमें उन तत्वों का समावेश भी है जो "हार्डवेअर और सॉफ़्टवेअर' से स्वतंत्र है।
5. सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत वे सब उपकरण एवं पद्धतियाँ सम्मिलित हैं, जो "सूचना' के संचालन में काम आते हैं। यदि इसकी एक संक्षिप्त परिभाषा देनी हो, तो कहेंगे -
"सूचना प्रौद्योगिकी एक ऐसा अनुशासन है जिसमें सूचना का संचार अथवा आदान प्रदान त्वरित गति से दूरस्थ समाजों में, विभिन्न तरह के साधनों तथा संसाधनों के माध्यम से सफ़लता पूर्वक किया जाता है।'
6. सूचना प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हम जब सूचना शब्द का प्रयोग करते है, तब यह एक तकनीकी पारिभाषिक शब्द होता है। वहाँ सूचना के संदर्भ मे "आँकडा (data) और "प्रज्ञा' "विवेक' "बुद्धिमत्ता' (intelligence) आदि शब्दों का भी प्रयोग मिलता है। प्रौद्योगिकी ज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसका सरोकार यांत्रिकीय कला अथवा प्रयोजन परक विज्ञान अथवा इन दोनों के समन्वित रूप से है।
- भारत में सूचना प्रौद्योगिकी सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण पहल
-रेलवे टिकट एवं आरक्षण का कम्प्यूटरीकरण
-बैंकों का कम्प्यूतारीकरण एवं एटीएम की सुविधा
-इंटरनेट से रेल टिकट, हवाई टिकट का आरक्षण
-इंटरनेट से एफआईआर
-न्यायालयों के निर्णय आनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
-किसानों के भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण
-इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन एवं आनलाइन काउंसिलिंग
-आनलाइन परीक्षाएं
-कई विभागों के टेंडर आनलाइन भरे जा रहे हैं.
-पासपोर्ट, गाडी चलाने के लाइसेंस आदि भी आनलाइन भरे जा रहे हैं.
-कई विभागों के 'कांफिडेंसियल रिपोर्ट' आनलाइन भरे जा रहे हैं.
-शिकायेतें आनलाइन की जा सकतीं है.
-सभी विभागों कई बहुत सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है. [[सूचना का अधिकार' के तहत भी बहुत सी जानकारी आनाइन दी जा रही है.
-आयकर की फाइलिंग आनलाइन की जा सकती है.
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- पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय प्रतिभाओं की भारी मांग ने भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज गति से विकास करने वाला सूचना प्रोद्योगिकी बाजार बना दिया है।
- सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है। संचार क्रान्ति के फलस्वरूप अब इलेक्ट्रानिक संचार को भी सूचना प्रौद्योगिकी का एक प्रमुख घटक माना जाने लगा है, और इसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology, ICT) भी कहा जाता है।
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सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व
-सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा अर्थतंत्र (Service Economy) का आधार है।
-पिछड़े देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एक सम्यक तकनीकी (appropriate technology) है।
-गरीब जनता को सूचना-सम्पन्न बनाकर ही निर्धनता का उन्मूलन किया जा सकता है।
-सूचना-संपन्नता से सशक्तिकरण (empowerment) होता है।
-सूचना तकनीकी, प्रशासन और सरकार में पारदर्शिता लाती है, इससे भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिलती है।
-सूचना तकनीक का प्रयोग योजना बनाने, नीति निर्धारण तथा निर्णय लेने में होता है।
-यह नये रोजगारों का सृजन करती है।
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सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव
- सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरी धरती को एक गाँव बना दिया है। इसने विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एक वैश्विक अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है। यह नवीन अर्थव्यवस्था अधिकाधिक रूप से सूचना के रचनात्मक व्यवस्था व वितरण पर निर्भर है। इसके कारण व्यापार और वाणिज्य में सूचना का महत्व अत्यधिक बढ गया है।
- सूचना क्रान्ति से समाज के सम्पूर्ण कार्यकलाप प्रभावित हुए हैं - धर्म, शिक्षा (e-learning), स्वास्थ्य (e-health), व्यापार (e-commerce), प्रशासन, सरकार (e-govermance), उद्योग, अनुसंधान व विकास, संगठन, प्रचार आदि सब के सब क्षेत्रों में कायापलट हो गया है । आज का समाज सूचना समाज कहलाने लगा है।
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ई - गवर्नेंस के लिए राज्य पुरस्कार
उद्देश्य
- मध्य प्रदेश सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा ई - गवर्नेंस के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, के लिए हर साल पुरस्कार प्रस्तुत किया जाता है| इन पुरस्कारो की स्थापना के मुख्य उद्येश्य्है :-
- ई – प्रशासन के क्षेत्र में नवीन पहल एवम उपलब्धियों को पहचानना ।
- ई - गवर्नेंस की एप्लिकेशन की तकनिकी जानकारी,डिजाइन को प्रभावी तरीकों से लागू करने के हेतु जानकारी साझा करने हेतु पहल करना ।
- सफल ई – गवर्नेंस परियोजनओ का प्रचार करना ।
- आई टी क्षेत्र मे अनुभवों का आदान – प्रदान, समस्याओं को हल करने, जोखिम कम करने, एप्लिकेशन को सफलता पूर्वक क्रियांवित करने हेतु योजना बनाने में|
शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप
"जिस प्रकार संगमरमर के लिए शिल्प कला है उसी प्रकार मानवीय आत्मा के लिए शिक्षा है"
पिछले कुछ दशकों से प्रौद्योगिकी ने हर संभव मार्ग से हमारे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। भारत एक सफल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से सज्जित राष्ट्र होने के नाते सदैव सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर अत्यधिक बल देता रहा है, न केवल अच्छे शासन के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा आदि के लिए भी।
शिक्षा नि:संदेह एक देश की मानव पूंजी के निर्माण में किए जाने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण निवेशों में से एक और एक ऐसा माध्यम है जो न केवल अच्छे साक्षर नागरिकों को गढ़ता है बल्कि एक राष्ट्र को तकनीकी रूप से नवाचारी भी बनाता है और इस प्रकार आर्थिक वृद्धि की दिशा में मार्ग प्रशस्त होता है। भारत में ऐसे अनेक कार्यक्रम और योजनाएं, जैसे मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, "सर्व शिक्षा अभियान", राष्ट्रीय साक्षरता अभियान आदि शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा आरंभ किए गए हैं।
हाल के वर्षों में इस बात में काफी रुचि रही है कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को शिक्षा के क्षेत्र में कैसे उपयोग किया जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदानों में से एक है अधिगम्यता पर आसान पहुंच संसाधन। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की सहायता से छात्र अब ई-पुस्तकें, परीक्षा के नमूने वाले प्रश्न पत्र, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र आदि देखने के साथ संसाधन व्यक्तियों, मेंटोर, विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, व्यावसायिकों और साथियों से दुनिया के किसी भी कोने पर आसानी से संपर्क कर सकते हैं।
किसी भी समय-कहीं भी, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की सर्वाधिक अनोखी विशेषता यह है कि इसे समय और स्थान में समायोजित किया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने असमामेलित अधिगम्यता (डिजिटल अभिगम्यता) को संभव बनाया है। अब छात्र किसी भी समय अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन अध्ययन पाठ्यक्रम सामग्री को पढ़ सकते हैं।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा आपूर्ति (रेडियो और टेलिविजन पर शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण) से सभी सीखने वाले और अनुदेशक को एक भौतिक स्थान पर होने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
जब से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को एक शिक्षण माध्यम के रूप में उपयोग किया गया है, इसने एक त्रुटिहीन प्रेरक साधन के रूप में कार्य किया है, इसमें वीडियो, टेलिविजन, मल्टीमीडिया कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का उपयोग शामिल है जिसमें , ध्वनि और रंग निहित है। इससे छात्र सीखने की प्रक्रिया में गहराई से जुडते हैं।
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ऑनलाइन प्रवेश परामर्श
भारत सरकार द्वारा विभिन्न व्यावसायक पाठ्यक्रमों जैसे बी.ई., बी.आर्क, बी.फार्मा, एम.बी.ए., एम.सी.ए., एम.बी.बी.एस., बी.डी.एस., बी.एड. आदि में प्रवेश के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की पहलें धन्यवाद की पात्र हैं, जिनका आयोजन मंडलों जैसे अखिल भारतीय इंजीनियरी प्रवेश परीक्षा, अखिल भारतीय पूर्व चिकित्सा परीक्षा, राज्य मंडल (उ. प्र., हरियाणा, केरल) द्वारा ऑनलाइन किया जा रहा है। इससे छात्रों को व्यक्तिगत परामर्श सत्रों में होने वाली परेशानियों से बचाया जा सकता है।
दूरस्थ शिक्षा (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)
जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है, दिन छोटे लगने लगते है, 24 घंटे उन सभी लक्ष्यों के लिए कम लगते जो हम पूरे करना चाहते है तथा एक साथ बहुत सारे कार्य पूरे करना जीवन का तरीका बन जाता है। हम में से अनेक लोग अपनी शिक्षा जारी रखता चाहते है किंतु समय की सीमाओं के कारण पढ़ाई जारी रखना कठिन हो जाताहै। इसलिए कई लोग और छात्र दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के माध्यम से पढ़ने का विकल्प अपनाते हैं, जिससे वे अपनी शिक्षा आराम से जारी रख सकें। अब आप विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों तथा विद्यालयों की वेबसाइट आसानी से देख कर वहां दिए जा रहे दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के बारे में जान सकते हैं और नवीनतम जानकारी ले सकते हैं।
आभासी कक्षा कक्ष बृहस्पति (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)
बृहस्पति का विकास, जो एक आभासी कक्षाकक्ष है, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर द्वारा किया गया प्रयास है और यह सर्वाधिक जीवन्त सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पहल हैं। बृहस्पति एक वेब आधारित ई-अधिगम्यता कार्यक्रम है, जिससे अनुदेशक पाठ्यक्रम सामग्री द्वारा परिसर में अभिगम्यता बढ़ा सकते हैं, कक्षा की चर्चाएं कर सकते हैं और वेब पर ही आकलन कर सकते हैं। इसे परिसर के बाहर और मेंटोर अभिगम्यता के लिए ई-अधिगम्यता सामग्री उपयोग करने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक खुले स्रोत वाला सॉफ्टवेयर है तथा इसे किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा उपयोग किया जा सकता है।
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चार भवनों तक फैले ऑप्टिक फाइबर बैक बोन वाला
लोकल एरिया नेटवर्क (एलएएन)
पिछले वापसी के क्रम वर्ष 1994 में सीएमपीडीआई ने नेट वर्किंग के महत्व की पहचान की तथा 64 ग्राहकों के साथ तीन मुख्य कार्यालय के भवनों को कवर करते हुए फाइबर ऑप्टिक बेक बोन के साथ लोकल नेटवर्क की स्थापना कर विश्वसनीय कदम बढ़ाया। अभी सीएमपीडीआई के पास चार मुख्य कार्यालय भवन फाइबर ऑप्टिक बैक बोन के माध्यम से जुडे. हुए हैं जिसके करीब 450 ग्राहक है। यह संतुलित (रोबस्ट) लैन नेटवर्किंग तथा सौ कम्प्यूटरों को हाईस्पीड इनफोरमेशन शेयरिंग क्षमता एवं परिधिय साधन उपलब्ध कराता है। परामर्शी संगठन होने के नाते सीएमपीडीआई विश्वसनीय सूचना शेयरिंग पर मुख्य रूप से आश्रित है और इसीलिए लैन सेवा लाइफ लाइन के रूप स्टेट ऑफ द आर्ट प्लानिंग गतिविधियाँ है। लैन इन्टरनेट को कनेक्टिंग पाथ वे के रूप में सेवा प्रदान करता है और इस प्रकार यह उपभोक्ताओं को उन्नत तकनीकी सूचना के विस्तृत स्तर तक पहुँचने में सहायता देता है।
10 एमबीपीएस डेडिकेटेड लीण्ड लाइन इंटरनेट संयोजन:
वर्ष 2000 में सीएमपीडीआई ने इन्टरनेट की संयोजकता के लिए 128 के बीपीएस लीज्ड लाइन की स्थापना की एवं सूचना के एक्सपोजर के लिए रास्ता तैयार किया। अभी सीएमपीडीआई के पास प्रिमियम इन्टरनेट परामर्शी सेवा के लिए समर्पित 10 एमबीपीएस लीज्ड लाइन कनेक्शन है। चूंकि यह लाइन अविभाजित है, यह गति (स्पीड) तथा अद्वितीय इन्टरनेट अनुभव उपलब्ध कराता है।
सभी क्षेत्रीय संस्थानों को एमपीएसएस से जोड़ना:
इन्टरनेट जैसे पब्लिक नेटवर्क के माध्यम से निश्चित पहुँच की आवश्यकता ने सीएमपीडीआई को वर्चूअल प्राइवेट नेटवर्क के बारे में सोचने की प्रेरणा दी। वर्ष 2009 में सीएमपीडीआई ने वर्चूअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) की स्थापना के लिए मल्टीप्रोटोकाल लेवल स्वीचिंग (एमपीएलएस) की शक्ति का इस्तेमाल किया, जो इसके सभी क्षेत्रीय संस्थानों को जोड़ता है, जो भौगोलिक दृष्टि से बिखरे हुए हैं। वीपीएन आधारित एमपीएसएस ने डाटा हैंडलिंग, इनफोरमेंशन एक्सचैज, सेवाओं के कंद्रीकरण, जो नीचे उल्लिखत है, की दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
साफ्टवेयर लाइसेंस का केंद्रित (सेंटरलाइण्ड) प्रबंधन:-
माइनेक्स (लिडिंग माइन प्लानिंग साफ्टवेयर), आटोकेड इत्यादि जैसे विभिन्न साफ्टवेयरों का लाइसेंस आधारित नेटवर्क, सीएमपीडीआई, मुख्यालय, रांची के सर्वर पर लगाया गया है। उपभोक्ता सीएमपीडीआई के सम्पर्क में क्षेत्रीय संस्थानों में वैसे लोगों सहित सीएमपीडीआई नेटवर्क से जुड़े अपेक्षित साफ्टवेयर पर काम करते हैं। इसने साफ्टवेयर लाइसेंस प्रबंधन के पर्याप्त रास्ते को लीड किया है।
इंटरनेट एवं ई-मेल सेवा:-
क्षेत्रीय संस्थानों सहित सीएमपीडीआई के संपर्क में उपभोक्ताओं ने वीपीएम आधारित एमपीएलएल के इस्तेमाल द्वारा इन्टरनेट तथा ई-मेल सेवा के लिए अपनी पहुँच सुनिश्चित की है।
ड्रिलिंग एवं स्टोर्स इनफोरमेंशन का प्रबंधन:-
वीपीएन आधारित एमपीएलएस तथा सीएमपीडीआई, मुख्यालय इन हाउस विकसित विभिन्न साफ्टवेयरों का इस्तेमाल, विभिनन कैम्पों, जो दूरस्थ क्षेत्रों (रिपोट एरिया) में कार्य कर रहे हैं, से ऑनलाइन पर ड्रिलिंग तथा स्टोर की सूचना प्राप्त करने में समर्थ है।
विडियो आईपी फोन:
वर्तमान नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए सीएमपीडीआई ने आईपी आधारित विडियो फोन स्थापित किया है, जिसमें एक ही डिवाइस में आवाज एवं विडियो मिले हुए रहते हैं। ये डिवाइसें मिनी विडियो कान्फेंसिंग वातावरण उपलब्ध कराती है जिसे बहुत ही उर्वर (प्रोडक्टिव) माना गया है।
इन्टरनेट का संस्थापन:
सीएमपीडीआई ने उच्चस्तरीय सिक्योर इन्टरनेट को स्थापित किया है जो सीएमपीडीआई के अंतर्गत सूचना शेयर तथा सेवाओं की गणना करने के लिए इन्टरनेट प्रोटोकॉल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता है। इन्टरनेट के पास यूजर-फ्रेंडली वेबसाइट है जो आंतरिक संचार व्यवस्था तथा सहयोग के पर्याप्त प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। आंतरिक उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं का प्रबंध करने के लिए इन हाउस विकसित कई साफ्टवेयर तथा सामान्य रूप से नेटवर्क है, जिसके पास प्रमाणीकरण तथा प्राधिकरण के लिए विशेष प्रावधान है।
अधिकारी (एक्ज्युटिव) सूचना प्रणाली:
कोल इंडिया के बोर्ड लेवल से नीचे सभी अधिकारियों के लिए एक्ज्यूटिव इनफोमेंशन सिस्टम (ईआईएस) वर्ष 2010 में प्रारंभ (लान्च) किया गया। यह अनुप्रयोग कोल इंडिया के अंतर्गत डीपीसी से संबंधित आवश्यकताओं को सहायता (सपोर्ट) देने के लिए प्रारंभिक तौर पर एक साल पहले के लिए इस्तेमाल किया गया है। यह अंतप्रयोग नीतियों में परिवर्तन से उत्पन्न जिटलताओं का पता लगाने के लिए मुद्दों से संबंधित कार्यव्यापार को साथ-साथ संबोधित करता रहा है। इन्टरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करते हुए पब्लिक नेटवर्क पर निश्चित रूप से ऑपरेट करने के लिए इस अनुप्रयोग (अप्लीकेशन) की डिजाइन की गई है। यूजर आथेन्टिकेशन मैकनिज्म पूरी तरह से ओराकल सिक्यूरिटी पर आधारित है।
ई-मेल सेवाएँ:
सीएमपीडीआई के पास ई-मेल सर्वर तथा यूजर एकाउन्ट का डाटा बेस है, जिससे मेल सर्वर पहचाना जाता है। यह सर्वर ई-मेल आईडी के इस्तेमाल के लिए आंतरिक उपभोक्ता को समर्थ बनाता है जिसमें कंपनी के नाम समाहित होते हैं तथा संदेश (मैसेज) को अन्य मेल सर्वर तथा ई-मेल ग्राहकों को स्तानांततित करने कें हैंडिल करते हैं।
ऑफिस आटमेशन:
सीएमपीडीआई इस तथ्य को मानता है कि अनुकूलन तथा स्वचालन वर्तमान कार्यालयीन प्रक्रिया दक्षता में वृद्धि करने के लिए बहुत ही संकटपूर्ण है। बैक बोन तथा ऑफिस आटोमेशन साफ्टवेयर पैकेज के रूप में लैन का इस्तेमाल करते हुए सीएमपीडीआई में उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक बिजनेस इनफोरमेशन को मैनेज करने में अनुकूल बनाये जाते हैं।
वेब का अनुप्रयोग (अप्लीकेशन):
सीएमपीडीआई में शाफ्टवेयर डवलपर का ग्रूप है, जिसने साफ्टवेयर अप्लीकेशन आधारित कई वेब को सफलतापूर्वक विकसित किया है। ओराकल आरडीबीएमएस के साथ सीएमपीडीआई में वेब अप्लीकेशन की सुनिश्चितता सृजित करने के लिए बैक इन्ड पर, पीएचपी, एजेक्स, जावा स्क्रिप्ट इत्यादि का काफी इस्तेमाल किया गया है। इन अप्लीकेशनों का उपभोक्ताओं द्वारा इन्टरनेट तथा प्रवेशी (इन्टरामेट) पर दैनिकी मूल्यांकन किया जाता है। आईसीटी प्रभाग आधुनिक अप्लीकेशन के विकास के लिए फ्रोन्ट इन्ड तथा बैक इन्ड सुविधा विश्वसनीय है।
डाटाबेस डिजाइन
सीएमपीडीआई डेटाबेस डिजाइन की समग्र प्रक्रिया पर विशेषज्ञता हासिल है. सीएमपीडीआई बेस डेटा संरचनाओं के साथ साथ, प्रमाणित डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली (DBMS) के डेटाबेस को उपयोग बनाने में अनुभव है.
भौगोलिक सूचना प्रणाली
(जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) (जीआईएस ) केंद्र
सीएमपीडीआई के पास पूर्ण सुसज्जित जीआईएस सेंटर, है, जिसमें आटोकेड के साथ-साथ इन्टर प्राइज जीआईएस सूट एआरसीजीआईएस है। इस सेंटर में वाइड फारमेट स्कैनर तथा वाइड फारमेट प्लाटर भी है। अनुभवी लोग सभी वाइड फारमेट स्कैनिंग तथा प्लाटिंग का ध्यान रख रहे हैं। यह केंद्र क्रिएटिंग लैंड इन्फोरमेशन सिस्टम तथा हैंडलिंग इमेजेज जैसी गतिविधियों में तन्मयता से लगा हुआ है।
नेटवर्किंग का समाधान:
सीएमपीडीआई को ग्राहकों के कार्य-व्यापार की आवश्यकताओं को मैप करते हुए नेटवर्क डिजाइन तथा वीपीएन कार्यान्वयन सहित समेकित नेटवर्किंग समाधान करने का अनुभव है। नेटवर्किंग समाधान का बढ़ता हुआ प्रस्ताव देते हुए सीएमपीडीआई के पास दक्षता एवं उर्वरता से नेटवर्क का इस्तेमाल करने हेतु ग्राहकों के लिए संबंधित वेब अप्लीकेशन को विकसित करने की सुविज्ञता है।
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व्यवसाय में सूचना संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग
रणनीति के एक हिस्से के रूप में ज्यादातर संगठन त्वरित और संक्षिप्त समाधानों की और बढ़ रहे हैं, जिसका अभिप्राय है ऐसी मूलभूत संरचना पर निर्भरता जो अधिक मूल्य-सृजनकारी और ग्राहक-उन्मुख है। इस दृष्टि से एसएमई प्रबंधक के रूप में आप इस दिशा में बढ़ने का उद्देश्य बना सकते हैं।
आईसीटी का प्रसार सभी हिस्सों में तेजी से हुआ है और आपके संगठन की विभिन्न प्रक्रियाओं में इसकी उपयोगिता स्पष्ट रूप से लाभकारी है। एक विचारणीय बिन्दु यह है कि कैसे आईसीटी आपके संगठन को एकीकृत और ग्राहक-उन्मुख बनने में सक्षम बना सकता है और कैसे आप इस समस्त प्रक्रिया में आईसीटी का लाभ उठा सकते हैं।
व्यवसाय में आईसीटी का लाभ
किसी संगठन को अकसर प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर सूचना की गति बढ़ाने की आवश्यकता होती है। बुनियादी दूरसंचार ढाँचे की परंपरागत तकनीकों को अपनाना सबसे सरल विकल्प है।
जैसे-जैसे आपके संगठन का आकार बढ़ता जाता है आप ईपीएबीएक्स अथवा आंतरिक टेलीफोन एक्सचेंज लगाने की सोच सकते हैं।
जैसे-जैसे संचार का परिमाण बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे आप कम महँगी तकनीकों जैसे वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल अपनाने की सोच सकते हैं। अनुभव से पता चला है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से दूरसंचार की लागत परंपरागत फोन लाइन की तुलना में 15 से 45 प्रतिशत कम हो जाती है।
संचार की गति बढ़ाने के साथ-साथ निर्णय-प्रक्रिया की गति भी बढ़ाई जानी चाहिए। यह काम कंप्यूटिंग सुविधा का लाभ उठाकर हो सकता है। एक बार संगठन में समस्त कंप्यूटिंग ढाँचा स्थापित हो जाने पर आप लैन या वैन के माध्यम से नेटवर्क कनेक्टिविटी स्थापित करने की सोच सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक मेल को ईमेल के रूप में भी जाना जाता है। इसके इस्तेमाल से संचार को और बढ़ाया जा सकता है। विभिन्न सेवा प्रदाता संगठनों को ईमेल सिस्टम स्थापित करने और प्रभावी तरीके से इन्टरनेट इस्तेमाल करने में सक्षम बनाते हैं।
छोटे या बड़े हर संगठन में विभिन्न प्रक्रिया और उप-प्रक्रियाओं का एकीकरण मुख्य होता है।आईसीटी के इस्तेमाल से काम की कुछ प्रक्रियाओं को स्वचालित बनाया जा सकता है, जैसे-
वित्त: रिकॉर्ड कीपिंग, लेन-देन के विश्लेषण, मुख्य वित्तीय विवरण तैयार करने और जब सबसे अधिक जरूरत हो तब डाटा की तत्काल उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए स्वचालन किया जा सकता है।
मानव संसाधन: मानव संसाधन स्वचालन में पे-रोल का स्वचालन सबसे महत्त्वपूर्ण है।साथ ही, मासिक एमआईएस जनरेशन, छुट्टी निर्धारण और आयोजना आदि को भी मानव संसाधन संबंधी स्वचालित सॉफ्टवेयर से संपन्न किया जा सकता है।
माल-सूची: उत्पादन प्रणालियों को माल-सूची स्वचालन के माध्यम से जोड़ा जा सकता है, जिसके ज़रिए कोई भी अधिकृत व्यक्ति एक बटन दबाकर पूरे माल के रिकॉर्ड देख सकता है। इससे प्लैनिंग में सुधार लाया जा सकता है।
समग्रतः सभी प्रक्रियाओं को ईआरपी प्रणालियों में जोड़ा जा सकता है।
विपणन के कार्य को वेबसाइट और ई-कॉमर्स जैसे उपकरणों का लाभ उठाकर और बढ़ाया जा सकता है। ई-कॉमर्स से उत्पाद की ऑनलाइन सूची, ऑनलाइन भुगतान प्रणाली तथा संगठन के लिए विश्व-स्तर पर दृश्यता उपलब्ध हो पाती है।
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किसानों पर केंद्रित चैनल जल्द ही : प्रकाश जावड़ेकर
नई दिल्ली : सरकार किसानों के लिए मौसम और खेती के पूर्वानुमान व बीजों आदि के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए एक चैनल को तोहफा के रूप में देने जा रही है।
सरकार व प्रसार भारती, डीडी किसान नाम के इस चैनल को जल्द ही लांच करने की दिशा में काम कर रही है। सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि डीडी किसान को जल्द ही लांच किया जाएगा। इस साल के आम चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो किसानों के लिए अलग चैनल लाया जाएगा।
प्रसार भारती पहले यह विचार कर रही थी कि एक चैनल क्या देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों के लिए काफी होगा। यह भी प्रस्ताव आया कि एक मुख्य चैनल पर 11 क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यक्रम दिखाए जाएं। एक अधिकारी के मुताबिक, किसानों पर आधारित कार्यक्रमों का निर्माण मुश्किल काम है, क्योंकि हर भौगोलिक क्षेत्र की कृषि व अर्थव्यवस्था अलग है और उनकी फसलें भी अलग हैं। इसलिए कार्यक्रम का कंटेंट क्षेत्र के हिसाब से होना चाहिए।
दूरदर्शन व आकाशवाणी पहले से कृषि पर आधारित कार्यक्रम पेश कर हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका रहे हैं।
9 comments:
Thanks sir ji
Short me deplly knowledge
Majaa nahi a aya sir
Bhut hi shandar lekh
Thanks sir ji
Thans
Good
Thanks
Aquarit nhi hai
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